Thursday, February 8, 2018
मांझी जी की जीवन गाथा
जीवन गाथा
मांझी यह नाम छत्तीसगढ़ में आज भी गूंजता हैं |छत्तीसगढ़ के बुजुर्ग नेताओं ने कंगला मांझी के संगठन कौशल को देख कर उन्हें भरपूर सहयोग भी दिया |दुर्ग जिले के जंगल में कंगला मांझी ने अपना क्रन्तिकारी मुख्यालय बनाया |लेकिन यह बहुत बाद की बात हैं |१९१० से १९१२ तक कंगला मांझी ने तप किया |एकांत चिंतन और प्रार्थना का यह समय उनके लिए बहुत मदतगार सिद्ध हुआ |वे १९१२ के बाद सार्वजानिक जीवन में ताल ठोक कर उतर गए |लगभग सौ वर्ष का अत्यंत सक्रीय समर्पित ,राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत जीवन जीकर वे ५ दिसंबर १९८४ को इस लोक से विदा हो गए |
पंडित जवाहरलाल नेहरु को नए भारत का मसीहा मानने वाले कंगला मांझी का असली नाम हिरासिंह देव मांझी था |छत्तीसगढ़ और आदिवासी समाज की विपन्न और अत्यंत कंगाली भरा जीवन देख कर हीरासिंह देव मांझी ने खुद को कंगला घोषित कर दिया | इसीलिए वे छत्तीसगढ़ की केंद्र में आ गए |न केवल आदिवासी समाज उनसे आशा करता था बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ उनकी चमत्कारी छवि से सम्मोहित था |कंगला मांझी विलक्षण नेता थे | वे राष्ट्र गौरव की चिंता करते हुए देश में गोंडवाना राज्य की कल्पना करते थे |उन्होंने बार -बार अपने घोषणा पत्रों में पंडित जवाहरलाल नेहरु का चित्र छापकर यह लिखा की देश के समर्पित रहकर मिटटी का कर्ज चुकाना हैं |उनके सैनिको द्वारा रोमांचित करनेवाला एक गीत गया गता हैं ,जिसकी प्रथम दो पंक्तियाँ हैं .................
देवगनों का देश हमारा ,
झंडा ऊँचा रहे हमारा |
आजाद हिन्द फ़ौज के सिपाहियों की वर्दी और सज्जा को अपनाकर गर्व महसूस करनेवाले कंगला मांझी के दो लाख वर्दीधारी सैनिक हैं | वर्दी विहीन सैनिक भी लगभग इतनी ही संख्या में हैं |प्रतिवर्ष ५ दिसंबर को डौंडी लोहारा में स्थित गाँव बघमार में कंगला मांझी सरकार की स्मृति को नमन करने आदिवासी समाज के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान के लिए चिंतित जन एकत्र होते हैं |
कंगला मांझी का सतत विकास और देश के लिए विनम्र योगदान तथा विकास के सोपान - कंगला मांझी सरकार का जन्म कांकेर जिला स्थित गाँव तेलावट में हुआ |यह उनका ननिहाल था | सलाम परिवार उनका ममियारो हैं |यही उनका बचपन बिता |श्रम करते हुए वे जीवन के सोपानो पर चढ़ते रहे |
सन १९१३ से वे स्वतंत्र आंदोलन से जुड़े |जंगल में स्वतंत्रता प्रारंभ हो चूका था |१९१४ में बस्तर की गतिविधियों से चिंतित हो अंग्रेज सरकार आदिवासियों को दबाने जा पहुंची |तीन देवियों के पुजारियों को किल ठोंककर मार दिया | अंग्रेज आदिवासियों की आस्था पर चोट करना चाहते थे |दैवीय शक्ति पर आदिवासियों के अटल विश्वास पर प्रहार करने के लिए ही पुजारियों की हत्या की गई |आदिवासी आन्दोलन से जुडी जनश्रुतियों के अनुसार लोग आज भी बताते हैं की तीन देवियों के पुजारियों को जब किल ठोंककर मार दिया गया तब वहां वीर बस्तरिया प्रगट हुए | को समझाया की अगर आपने जवान अंग्रेज को दे दिया तो यहाँ का राज कैसे चलेगा | तब माता ने अंग्रेज से कहा की अपने लोगों से सलाह कर फिर जवाब दूंगी | कंगला मांझी ने राजमाता को समझाया की अंग्रेज हमारी ही ताकत से हमें गुलाम बनाकर बैठे हैं | इसलिए हम उन्हें सहयोग न करे | आज वे बस्तर में हारे हैं , कल देश में हार कर भाग जायेंगे | तब अंग्रेजो से गोंडवाना राज्य की मांग की गई सन १९१५ में रांची की बैठक हुई | १९१५ से १९१८ तक लगातार बैठकें होती रही |१९१९ में अंग्रेज ने कांकेर ,बस्तर और धमतरी कर क्षेत्र को मिलाकर एक गोंडवाना राज बना देने का प्रस्ताव दिया | कंगला मांझी इससे सहमत नहीं हुए | एक छोटे से क्षेत्र में राज्य की बात उन्हें जमी नहीं | उन्होंने कहा की विराट गोंडवाना राज्य के वंशजो को एक छोटे से भूभाग का लालच दिया जा राहा हैं | हम सहमत नहीं हैं |१९१४ में जेल में वे महात्मा गाँधी से मिल चुके थे | १९२० में पुन : कलकत्ते में महात्मा गाँधी से भेंट हुई | वे लगातार राष्ट्रिय नेताओं के संपर्क में रहे | आन्दोलन का नेतृत्व भी करते रहे | आदिवासियों को संगठित कर स्वतंत्रता की आग जंगल में धधकाते रहे | फिर आया १९४2 का काल | महात्मा गाँधी से प्रभावित कंगला मांझी ने अपनी शांति सेना के दम पर आन्दोलन चलाया | वे मानते थे कि देश के असल शासक गोंड हैं | वे बलिदानी परंपरा के जीवित नक्षत्र बनकर वनवासियों को राह दिखाते रहें और १९४७ में देश आजाद हुआ | तो उन्होंने नए सिरे से संगठन खड़ा किया | अब शासक देशी थे | लेकिन शासन में आदिवासियों की हिस्सेदारी नहीं थी | यह नया संघर्ष था | अस्मिता के लिए संघर्ष | यद्यपि कंगला मांझी ने पंडित जवाहरलाल नेहरु को राष्ट्र ही नहीं विश्व का हीरा घोषित किया , लेकिन आदिवासी हितों की रक्षा के लिए वे सेना और समर्पित सैनिकों की जरुरत को मानते थे | इसलिए एक संगठन को नया आकर दिया गया |
सुविचार :- हमेशा तीन चीज दे - मान ,दान और ज्ञान | दान से सभी कार्य पूर्ण होते हैं |
:- उर्जा वहीँ बहती हैं, जहाँ उर्जा का संचार होता हैं |
:- इससे पहले की सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे |
:- "सत्यमेव जयते "|
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
जीवन गाथा मांझी यह नाम छत्तीसगढ़ में आज भी गूंजता हैं |छत्तीसगढ़ के बुजुर्ग नेताओं ने कंगला मांझी के संगठन कौशल को देख कर उन्हें भरपूर स...